कितने साल में किराएदार बन जाएगा प्रोपर्टी का मालिक, जानिये सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला Tenant’s Rights

By Meera Sharma

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Tenant’s Rights: आज के युग में संपत्ति केवल रहने के लिए ही नहीं बल्कि आय के साधन के रूप में भी खरीदी जाती है। बहुत से लोग प्रॉपर्टी खरीदकर उसे किराए पर चढ़ा देते हैं और फिर केवल मासिक किराया लेने तक ही सीमित रह जाते हैं। यह प्रवृत्ति विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में देखी जाती है जहां रियल एस्टेट की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। लेकिन कई बार यह लापरवाही भारी पड़ सकती है क्योंकि लंबे समय तक संपत्ति पर ध्यान न देने से किराएदार उस पर अपना दावा ठोक सकता है।

इस समस्या की जड़ यह है कि संपत्ति मालिक अपनी संपत्ति की नियमित निगरानी नहीं करते और न ही कानूनी औपचारिकताओं का ध्यान रखते हैं। वे समझते हैं कि किराया मिलता रहे तो सब कुछ ठीक है। लेकिन यह सोच खतरनाक हो सकती है क्योंकि भारतीय कानून में प्रतिकूल कब्जे के नियम हैं जो एक निश्चित समय बाद किराएदार को संपत्ति का मालिक बनने का अधिकार दे सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

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हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति पर किराएदार के कब्जे से संबंधित एक अहम फैसला सुनाया है जो हर संपत्ति मालिक के लिए जानना जरूरी है। तीन जजों की पीठ ने इस फैसले में स्पष्ट किया है कि किन परिस्थितियों में कोई किराएदार संपत्ति का मालिक बन सकता है। यह फैसला 2014 के एक पुराने फैसले को पलटता है और संपत्ति के कानूनी पहलुओं में एक नई दिशा देता है।

कोर्ट के इस फैसले का व्यापक प्रभाव होगा क्योंकि यह लाखों संपत्ति मालिकों और किराएदारों के अधिकारों को प्रभावित करता है। इस फैसले से यह साफ हो गया है कि संपत्ति मालिक अगर अपनी संपत्ति पर लापरवाही बरतें तो उन्हें भारी नुकसान हो सकता है। यह निर्णय संपत्ति कानून में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।

प्रतिकूल कब्जे का कानूनी आधार

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लिमिटेशन एक्ट 1963 में प्रतिकूल कब्जे के संबंध में स्पष्ट प्रावधान हैं। इस कानून के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी निजी संपत्ति पर लगातार 12 साल तक बिना किसी बाधा के कब्जा बनाए रखता है तो वह उस संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा कर सकता है। यह नियम तब लागू होता है जब मूल संपत्ति मालिक इस दौरान कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करता या अपने अधिकार का प्रयोग नहीं करता।

प्रतिकूल कब्जे के लिए यह आवश्यक है कि कब्जा निरंतर, शांतिपूर्ण और खुला हो। इसका मतलब यह है कि किराएदार संपत्ति पर इस तरह रहे जैसे कि वह उसका मालिक हो और मूल मालिक को इसकी जानकारी हो। यदि इन 12 वर्षों के दौरान मालिक कभी भी अपने अधिकार का प्रयोग करता है या कानूनी नोटिस भेजता है तो यह अवधि फिर से शुरू हो जाती है।

2014 के फैसले से नई स्थिति

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वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने एक अलग फैसला दिया था जिसमें कहा गया था कि प्रतिकूल कब्जा करने वाला व्यक्ति संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा नहीं कर सकता। उस समय कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि असली संपत्ति मालिक के कहने पर कब्जाधारी को संपत्ति छोड़नी होगी। लेकिन नए फैसले में कोर्ट ने अपना रुख बदल दिया है और प्रतिकूल कब्जे के नियमों को मजबूती दी है।

इस बदलाव का मुख्य कारण यह है कि कोर्ट ने माना है कि यदि संपत्ति मालिक 12 साल तक अपने अधिकारों का प्रयोग नहीं करता तो वह अपने अधिकार खो देता है। यह सिद्धांत इस आधार पर है कि कानून उन लोगों की मदद करता है जो अपने अधिकारों के लिए सचेत रहते हैं। लापरवाही और निष्क्रियता को कानून प्रोत्साहित नहीं करता।

किराएदार के नए अधिकार और शर्तें

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सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले के अनुसार यदि कोई किराएदार लगातार 12 साल तक संपत्ति पर कब्जा बनाए रखता है और इस दौरान मकान मालिक कोई आपत्ति नहीं करता तो किराएदार उस संपत्ति का मालिक बन सकता है। लेकिन इसके लिए किराएदार को यह साबित करना होगा कि उसका कब्जा निरंतर, शांतिपूर्ण और सभी को दिखाई देने वाला था। केवल किराए पर रहना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि मालिकाना हक का व्यवहार भी दिखाना होगा।

यदि इन शर्तों को पूरा करने के बाद किराएदार को जबरदस्ती संपत्ति से निकाला जाता है तो वह न्यायालय में मुकदमा दायर कर सकता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि केवल वसीयत या पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर कोई संपत्ति का मालिक नहीं बन सकता। वास्तविक कब्जा और उसका सबूत आवश्यक है।

मकान मालिकों के लिए सुरक्षा उपाय

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इस नए कानूनी स्थिति के बाद मकान मालिकों के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे अपनी संपत्ति की नियमित निगरानी करें और कानूनी सावधानियां बरतें। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 12 साल की अवधि पूरी होने से पहले कम से कम एक बार कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। यह कार्रवाई नोटिस भेजने से लेकर न्यायालय में मुकदमा दायर करने तक कुछ भी हो सकती है।

मकान मालिकों को चाहिए कि वे समय-समय पर अपनी संपत्ति का निरीक्षण करें और किराएदार से सीधे संपर्क बनाए रखें। यदि किराएदार किराया देना बंद कर दे या संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा करे तो तुरंत कानूनी सलाह लेनी चाहिए। देरी करना खतरनाक हो सकता है क्योंकि समय के साथ स्थिति और जटिल होती जाती है।

रेंट एग्रीमेंट की महत्वता

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संपत्ति को किराए पर देने से पहले एक उचित रेंट एग्रीमेंट बनवाना अत्यंत आवश्यक है। कानूनी विशेषज्ञ सुझाते हैं कि 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट बनवाना सबसे अच्छा होता है क्योंकि इससे किराएदार को दीर्घकालिक अधिकार नहीं मिलते। इस एग्रीमेंट को समय-समय पर नवीनीकृत करना चाहिए ताकि निरंतरता में कोई अंतर आ जाए।

रेंट एग्रीमेंट में यह स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए कि यह केवल किराए का समझौता है और किराएदार को संपत्ति पर कोई मालिकाना हक नहीं मिलता। एग्रीमेंट में यह भी उल्लेख होना चाहिए कि मकान मालिक अपनी संपत्ति का निरीक्षण कर सकता है। इन सभी बातों का उचित रिकॉर्ड रखना भी जरूरी है ताकि जरूरत पड़ने पर सबूत के रूप में इस्तेमाल हो सके।

भविष्य की सावधानियां और सुझाव

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संपत्ति मालिकों को चाहिए कि वे अपनी संपत्ति के सभी कागजात सुरक्षित रखें और नियमित रूप से उनका अद्यतनीकरण कराते रहें। प्रॉपर्टी टैक्स, बिजली का बिल और अन्य उपयोगिता बिल अपने नाम पर रखना भी महत्वपूर्ण है। ये दस्तावेज मालिकाना हक के सबूत के रूप में काम आते हैं। किराएदार से मिलने वाली रसीदों का भी उचित रिकॉर्ड रखना चाहिए।

यदि किसी को संदेह हो कि किराएदार संपत्ति पर अनधिकृत कब्जा करने की कोशिश कर रहा है तो तुरंत कानूनी सलाह लेनी चाहिए। देरी करने से स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है। संपत्ति के मामलों में समय का बहुत महत्व होता है और सही समय पर उठाए गए कदम भविष्य की कई समस्याओं से बचा सकते हैं।

Disclaimer

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यह लेख सामान्य कानूनी जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। संपत्ति कानून जटिल विषय है और विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नियम हो सकते हैं। किसी भी कानूनी कार्रवाई से पहले योग्य वकील से सलाह लेना आवश्यक है। यह लेख कानूनी सलाह का विकल्प नहीं है और व्यक्तिगत परिस्थितियों के अनुसार स्थिति अलग हो सकती है।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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