20 साल की नौकरी पर मिलेगी 2,88,461.53 रुपये ग्रेच्युटी, कर्मचारी समझ लें कैलकुलेशन Gratuity Rule

By Meera Sharma

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Gratuity Rule

Gratuity Rule: ग्रेच्युटी एक विशेष प्रकार का वेतन है जो कंपनी अपने वफादार कर्मचारियों को देती है। यह एक सम्मान राशि है जो कर्मचारी को उसकी लंबी सेवा के बदले में मिलती है। भारतीय श्रम कानून के अनुसार, जो कर्मचारी किसी एक कंपनी में कम से कम पांच साल तक निरंतर काम करता है, वह ग्रेच्युटी का हकदार बन जाता है। यह राशि कर्मचारी की वफादारी और कंपनी के प्रति समर्पण का प्रतिफल है।

ग्रेच्युटी का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। जब कोई व्यक्ति अपना करियर बदलता है या रिटायर होता है, तो इस राशि से उसे नई शुरुआत करने में मदद मिलती है। यह सामाजिक सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित बनाता है।

कंपनी का पंजीकरण और आवश्यक शर्तें

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ग्रेच्युटी पाने के लिए सबसे पहली शर्त यह है कि कंपनी में कम से कम दस कर्मचारी काम कर रहे हों। यह नियम सरकारी और निजी दोनों प्रकार की कंपनियों पर लागू होता है। दुकानें, कारखाने और अन्य व्यावसायिक संस्थान भी इस नियम के दायरे में आते हैं। कंपनी का ग्रेच्युटी एक्ट के तहत पंजीकृत होना अनिवार्य है।

अगर आपकी कंपनी पंजीकृत है तो उसे कानूनी रूप से आपको ग्रेच्युटी देनी होगी। लेकिन अगर कंपनी पंजीकृत नहीं है, तो ग्रेच्युटी देना या न देना कंपनी की मर्जी पर निर्भर करता है। इसलिए नौकरी ज्वाइन करते समय यह जानकारी जरूर लें कि आपकी कंपनी पंजीकृत है या नहीं।

सेवा अवधि की गणना और विशेष नियम

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ग्रेच्युटी पाने के लिए न्यूनतम पांच साल की सेवा जरूरी है। यहां एक दिलचस्प नियम है – अगर आपने चार साल आठ महीने काम किया है, तो इसे पांच साल माना जाएगा और आप ग्रेच्युटी के हकदार होंगे। लेकिन अगर आपने चार साल सात महीने काम किया है, तो इसे केवल चार साल माना जाएगा और आपको ग्रेच्युटी नहीं मिलेगी।

नोटिस पीरियड को भी कुल सेवा अवधि में शामिल किया जाता है। यह नियम कर्मचारियों के हित में बनाया गया है ताकि वे अपनी पूरी सेवा का लाभ उठा सकें। सेवा अवधि की गणना करते समय छुट्टियों और अन्य अनुमतित अवकाश को भी शामिल किया जाता है।

मृत्यु की स्थिति में विशेष प्रावधान

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अगर किसी कर्मचारी की नौकरी के दौरान ही मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार को ग्रेच्युटी मिलेगी। इस स्थिति में पांच साल की न्यूनतम सेवा की शर्त लागू नहीं होती। यह राशि कर्मचारी के नामांकित व्यक्ति को दी जाती है। यह प्रावधान कर्मचारी के परिवार की आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाया गया है।

कंपनी को मृत्यु के बाद जल्दी से जल्दी यह राशि परिवार को देनी चाहिए। इसके लिए कर्मचारी को अपनी नौकरी के समय ही नामांकन करना चाहिए ताकि बाद में कोई परेशानी न हो।

ग्रेच्युटी की गणना का सूत्र

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ग्रेच्युटी की गणना का सूत्र बहुत सरल है। इसमें अंतिम मूल वेतन को सेवा वर्षों से गुणा करके 15/26 से गुणा किया जाता है। यहां 26 का मतलब महीने के कुल काम करने वाले दिन हैं, जिसमें रविवार को छोड़ दिया जाता है। 15 का मतलब आधे महीने की वेतन है जो हर साल की सेवा के लिए मिलती है।

उदाहरण के लिए, अगर किसी कर्मचारी का अंतिम मूल वेतन 25,000 रुपये है और उसने 20 साल काम किया है, तो गणना इस प्रकार होगी: 25,000 × 20 × 15/26 = 2,88,461.53 रुपये। यह एक निश्चित राशि है जो कर्मचारी को मिलेगी।

निजी और सरकारी कंपनियों में अंतर

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निजी कंपनियों में ग्रेच्युटी की गणना केवल मूल वेतन के आधार पर होती है। इसमें महंगाई भत्ता और अन्य भत्ते शामिल नहीं होते। सरकारी कर्मचारियों को इस मामले में कुछ अतिरिक्त लाभ मिलता है। इसलिए निजी कंपनी के कर्मचारियों को अपनी ग्रेच्युटी की गणना करते समय केवल मूल वेतन को ध्यान में रखना चाहिए।

कुछ कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी की राशि पहले से निर्धारित कर देती हैं। ऐसी स्थिति में कर्मचारी को पता होता है कि उसे कितनी राशि मिलेगी। यह व्यवस्था कर्मचारियों के लिए बेहतर होती है क्योंकि वे अपनी भविष्य की योजना बना सकते हैं।

Disclaimer

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यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। वास्तविक ग्रेच्युटी की गणना कंपनी की नीति और श्रम कानूनों के अनुसार अलग हो सकती है। सटीक जानकारी के लिए अपनी कंपनी के HR विभाग या कानूनी सलाहकार से संपर्क करें।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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