CIBIL Score Update: आधुनिक बैंकिंग व्यवस्था में सिबिल स्कोर एक अत्यंत महत्वपूर्ण कारक बन गया है जो किसी व्यक्ति की ऋण पात्रता निर्धारित करता है। जब कोई व्यक्ति बैंक से लोन के लिए आवेदन करता है, तो बैंक सबसे पहले उसके सिबिल स्कोर की जांच करता है। यदि यह स्कोर खराब है, तो व्यक्ति को लोन मिलने की संभावना बहुत कम हो जाती है। इसलिए वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए एक अच्छे सिबिल स्कोर का होना अत्यावश्यक है।
सिबिल स्कोर वास्तव में किसी व्यक्ति की वित्तीय विश्वसनीयता का प्रतिबिंब होता है। यह दर्शाता है कि व्यक्ति अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों को कितनी गंभीरता से निभाता है। बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाएं इस स्कोर के आधार पर यह तय करती हैं कि किसी व्यक्ति को कितनी राशि का लोन दिया जा सकता है और किस ब्याज दर पर दिया जा सकता है। एक अच्छा सिबिल स्कोर न केवल लोन की मंजूरी दिलाता है बल्कि बेहतर ब्याज दरों पर लोन दिलाने में भी सहायक होता है।
सिबिल स्कोर की रेंज और वर्गीकरण
सिबिल स्कोर तीन अंकों का एक संख्यात्मक मान होता है जो 300 से 900 के बीच होता है। इस रेंज में 750 से ऊपर का स्कोर उत्कृष्ट माना जाता है, 700 से 750 के बीच अच्छा, 650 से 700 के बीच औसत, और 650 से नीचे का स्कोर खराब माना जाता है। 300 से 550 के बीच का स्कोर अत्यंत खराब माना जाता है और इस स्थिति में लोन मिलना लगभग असंभव हो जाता है।
यह स्कोर व्यक्ति की पूरी क्रेडिट हिस्ट्री पर आधारित होता है, जिसमें पिछले कई वर्षों का डेटा शामिल होता है। स्कोर में पेमेंट हिस्ट्री, क्रेडिट उपयोग अनुपात, क्रेडिट हिस्ट्री की लंबाई, नए क्रेडिट अकाउंट्स, और क्रेडिट मिश्रण जैसे कारक शामिल होते हैं। सामान्यतः खराब सिबिल स्कोर को सुधरने में डेढ़ से दो साल तक का समय लग सकता है, लेकिन सही रणनीति और निरंतर प्रयासों से इसे तीस दिन में भी सुधारा जा सकता है।
क्रेडिट हिस्ट्री निर्माण की प्रक्रिया
जिन लोगों की कोई क्रेडिट हिस्ट्री नहीं है, उनका सिबिल स्कोर स्वाभाविक रूप से खराब होता है क्योंकि बैंकों के पास उनकी वित्तीय विश्वसनीयता का कोई प्रमाण नहीं होता। क्रेडिट हिस्ट्री का न होना इस बात का संकेत है कि व्यक्ति ने पहले कभी कोई लोन नहीं लिया है या क्रेडिट कार्ड का उपयोग नहीं किया है। ऐसी स्थिति में सबसे पहले क्रेडिट हिस्ट्री बनाना आवश्यक होता है।
क्रेडिट हिस्ट्री बनाने के लिए बैंक से छोटी मात्रा में क्रेडिट लेना चाहिए और इसे समय पर चुकाना चाहिए। नौकरीपेशा लोगों के लिए क्रेडिट कार्ड प्राप्त करना अपेक्षाकृत आसान होता है क्योंकि उनकी नियमित आय होती है। क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके और समय पर बिल का भुगतान करके एक मजबूत क्रेडिट हिस्ट्री बनाई जा सकती है। इसके अतिरिक्त बिजली बिल, पानी बिल, और अन्य नियमित बिलों का समय पर भुगतान भी क्रेडिट हिस्ट्री में सकारात्मक योगदान देता है।
त्वरित सुधार के लिए क्रेडिट कार्ड रणनीति
सिबिल स्कोर को तेजी से सुधारने के लिए क्रेडिट कार्ड का संयमित उपयोग सबसे प्रभावी तरीका है। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, क्रेडिट कार्ड की उपलब्ध सीमा का केवल 30 प्रतिशत या उससे कम उपयोग करना चाहिए। यदि आपकी क्रेडिट लिमिट एक लाख रुपये है, तो आपको केवल तीस हजार रुपये तक का ही उपयोग करना चाहिए। इस नियम का पालन करने से क्रेडिट उपयोग अनुपात कम रहता है, जो सिबिल स्कोर के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।
क्रेडिट कार्ड की एक विशेष सुविधा यह है कि यह 45 दिन तक की ब्याज मुक्त अवधि प्रदान करता है। इस अवधि के दौरान यदि पूरा बिल चुका दिया जाए, तो कोई ब्याज नहीं लगता। यह सुविधा व्यक्ति को अल्पकालिक वित्तीय आवश्यकताओं के लिए मुफ्त में धन उपलब्ध कराती है। नियमित और समय पर भुगतान करने से न केवल सिबिल स्कोर सुधरता है बल्कि बैंक के साथ विश्वसनीयता भी बढ़ती है।
कैश-बैक्ड क्रेडिट कार्ड के फायदे
नए उपयोगकर्ताओं के लिए कैश-बैक्ड क्रेडिट कार्ड एक उत्कृष्ट विकल्प होता है। इस प्रकार के कार्ड में व्यक्ति को पहले से ही एक निश्चित राशि जमा करनी होती है, जो उसकी क्रेडिट लिमिट बन जाती है। यह कार्ड विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनकी कोई क्रेडिट हिस्ट्री नहीं है या जिनका सिबिल स्कोर खराब है। बैंकों के लिए यह जोखिम रहित होता है क्योंकि पैसा पहले से ही जमा होता है।
कैश-बैक्ड क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके व्यक्ति अपनी क्रेडिट हिस्ट्री बना सकता है और सिबिल स्कोर सुधार सकता है। इस कार्ड का नियमित उपयोग और समय पर भुगतान करने से बैंक को व्यक्ति की वित्तीय अनुशासन का प्रमाण मिलता है। कुछ समय बाद, अच्छी क्रेडिट हिस्ट्री के आधार पर व्यक्ति को नियमित क्रेडिट कार्ड या अन्य ऋण उत्पाद भी मिल सकते हैं।
क्रेडिट लिमिट वृद्धि और इसके लाभ
जब व्यक्ति अपने क्रेडिट कार्ड का संयमित उपयोग करता है और नियमित रूप से बिल का भुगतान करता है, तो बैंक उसकी क्रेडिट लिमिट बढ़ाने को तैयार हो जाता है। क्रेडिट लिमिट की वृद्धि व्यक्ति की बेहतर वित्तीय स्थिति का संकेत होती है और इससे सिबिल स्कोर में सुधार होता है। अधिक क्रेडिट लिमिट होने से क्रेडिट उपयोग अनुपात अपने आप कम हो जाता है, जो सिबिल स्कोर के लिए लाभकारी होता है।
बैंक से क्रेडिट लिमिट बढ़ाने के लिए अनुरोध करना भी एक प्रभावी रणनीति हो सकती है। यदि व्यक्ति का भुगतान इतिहास अच्छा है और वह नियमित रूप से अपनी आय में वृद्धि दर्शा सकता है, तो बैंक आसानी से क्रेडिट लिमिट बढ़ा देता है। यह न केवल तात्कालिक वित्तीय लचीलापन प्रदान करता है बल्कि भविष्य में बड़े लोन के लिए भी एक मजबूत आधार तैयार करता है।
निरंतर निगरानी और सुधार के उपाय
सिबिल स्कोर में निरंतर सुधार के लिए नियमित निगरानी आवश्यक है। भारत में सिबिल, इक्वीफैक्स, हाईमार्क और एक्सपीरियन जैसी कंपनियां क्रेडिट स्कोर निर्धारित करती हैं। इन सभी संस्थाओं से नियमित रूप से अपना क्रेडिट रिपोर्ट मंगाना और उसकी समीक्षा करना चाहिए। यदि रिपोर्ट में कोई त्रुटि या अनावश्यक प्रविष्टि दिखाई दे, तो तुरंत संबंधित कंपनी से संपर्क करके उसे सुधरवाना चाहिए।
बार-बार लोन लेने से बचना भी सिबिल स्कोर सुधारने का एक महत्वपूर्ण नियम है। एक साथ कई लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने से बैंकों को लगता है कि व्यक्ति वित्तीय संकट में है, जिससे सिबिल स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके बजाय एक समय में केवल एक ही ऋण उत्पाद के लिए आवेदन करना और उसे पूरी तरह चुकाने के बाद ही अगले लोन के बारे में सोचना चाहिए।
Disclaimer
इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक उद्देश्य से है और वित्तीय सलाह का विकल्प नहीं है। सिबिल स्कोर सुधारने के लिए व्यक्तिगत वित्तीय सलाहकार से परामर्श लेना उचित होगा। परिणाम व्यक्ति की वर्तमान वित्तीय स्थिति पर निर्भर करते हैं।